10) “खुदा”

जब मैंने खुद को ढूँढा तो तुझे पाया

अँधेरे में सरपरस्त है सिर्फ तेरा ही साया

हर एक पल है अब तेरा सर माया

बस तू ही तू मुझमे समाया

 

तेरे कितने ही नाम कितने ही चेहरे

पर सारी कायनात को तूने ही बनाया

हर रंग में तू हर वक़्फ़ में तू

बस तू ही तू मुझमे समाया

 

खुशियों की महफ़िल हो या दर्द का तरन्नुम

हर लम्हे को ख्वाहिश समझ कर गले हमने लगाया

हर मुश्किल सुरंग की छोर पर है नयी सहर यह देखना तूने सिखाया

बस तू ही तू मुझमे समाया

 

जबमैं ने खुद को ढूँढा तो तुझे पाया

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