11) “स्वतंत्रता”

आओ हम कुछ ऐसा कर जाए

एक प्यारा सा नया गुलिस्ता बनाए

 

सरज़मीन हम से कह रही है मैं घायल न हो जाऊ

सीमा पर लगी कटीली तारो में न बंधके रह जाऊ

 

तिरेंगे के रंगों को बिखेरेंगे हमने है ठानी

हमे प्रेरणा देती है इस देश की मिट्टी में मिली शहीदों की कुर्बानी

 

पुकार-पुकार कर कह रहा ज़मीन का हर एक कोना

आओ पोछ दे सबके आंसू और बना दे सबका जीवन सोना

 

चलो एक उचाई पर ले चले इस देश की गरिमा

हर नयी सुबह के साथ अंकुरित हो यह सपनों का करिश्मा

 

प्यार और भाईचारे की मिसाल हम बनाए

आओ हम कुछ ऐसा कर जाए

 

आओ हम कुछ हम ऐसा कर जाए

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