अपनी जन्नत बनाकर बस करू तेरा सजदा
अरमानों के पंख लगाकर उडाता चलूँ
ढूँढू तेरे कदमों के निशान
और उनको अपनी मंज़िल बनाकर बस करू तेरा सजदा
टूटते तारे को देखकर मांगते हैं सब दुआ
मगर तारा ही मसीहा बन जाये तो खुद टूटकर
तारे को चमकने की मांगता हूँ दुआ
चमकते तारे की रौशनी को सजाकर बस करू तेरा सजदा
जीने की ख्वाहिश मयस्सर हो तेरी पनाह में
गम नहीं फिर सांस भी निकल जाये तेरी इन बाहों में
सुकून से पढ़ूँ कलमा तेरी इन निग़ाहों में
रूह से रूह तक इबादत बस करू तेरा सजदा
तेरी चाहत के असर से महक जाये यह चमन
ना कोई गिलाह हो ना कोई शिकवा बस हो अमन ही अमन
ज़िन्दगी का जश्न मनाकर बस करू तेरा सजदा
अपनी जन्नत बनाकर बस करू तेरा सजदा